Wednesday, May 2, 2012

सन्नाटा ...


चाहते तो हैं, करें इजहार-ए-मुहब्बत 
पर, अब किसी पे एतबार नहीं होता ! 
... 
काश ! दिल्ली में, हमारा भी बसेरा होता 
तो तय था 'उदय', रोज नया सवेरा होता !!
... 
रंज भी नहीं है, द्वन्द भी नहीं है 
मगर फिर भी 'उदय', है सन्नाटा पसरा !

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