हम जानते हैं, ये 'सांई' का कुसूर नहीं है 'उदय'
वो तो हम ही हैं, जो ईशारा समझ नहीं पाए !!
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ये तेरी संगत का ही तो असर है 'उदय'
कि अब उनके भी पैगाम आने लगे हैं !
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मेरे अन्दर बैठा आदमी, मुझसे रूठा हुआ है
उसे जवाब चाहिए, झूठ से परहेज क्यूँ है ?
3 comments:
अंतिम पंक्तियाँ बेहतरीन हैं!
सुन्दर प्रस्तुति |
सच सुनना है, अच्छा सुनना है, अजब विसंगति है।
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