न जाने क्यूँ 'उदय', आज के दौर में भी उसने ईमानदारी की ठानी है
उफ़ ! देखते ही देखते, उसकी लुटिया तक बिक जानी है !!
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उफ़ ! कुछ लोग हैं 'उदय', जो फेसबुक पे भी अकड़ के बैठते हैं
कोई समझाए उन्हें, यहाँ पांव छूने-छुआने का चलन नहीं है !!
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एक हम हैं 'उदय', जो जगहंसाई से बचते-बचाते फिरते हैं
और एक वो हैं, जो जगहंसाई को भी, शोहरत समझते हैं !
1 comment:
अब ठान ली तो ठान ली।
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