Wednesday, April 4, 2012

गुरुर ...

चिटठी भेज कर उन्ने, हमें दिल्ली बुलाया है 'उदय'
काश ! ट्रेन में चिटठी, टिकिट का काम भी करती !!
...
सच ! तू अपनी खुबसूरती पे गुरुर न कर
सुबह से शाम होने में समय नहीं लगता !!
...
देर-सबेर 'उदय', अपनी भी हरेक मंशा पूरी होगी
बस, चलते रहने के लिए, हौसले की दरकार है !

4 comments:

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सच ! तू अपनी खुबसूरती पे गुरुर न कर
सुबह से शाम होने में समय नहीं लगता !!
...बहुत खूब।

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...




सच ! तू अपनी खुबसूरती पे गुरुर न कर
सुबह से शाम होने में समय नहीं लगता !!

देर-सबेर 'उदय', अपनी भी हरेक मंशा पूरी होगी
बस, चलते रहने के लिए, हौसले की दरकार है !

बहुत ख़ूब !


आदरणीय उदय जी
सस्नेहाभिवादन !

आपकी छोटी छोटी रचनाएं कमाल हैं !


शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

प्रवीण पाण्डेय said...

ट्रेन में चिठ्ठी भी टिकट का काम करेगी, पैसा भेजने वाले से वसूला जायेगा।

M VERMA said...

काश ! ट्रेन में चिटठी, टिकिट का काम भी करती !!
आईडिया अच्छा है