Tuesday, April 3, 2012

रिश्ते ...

सच ! तेरी तारीफ़ करूँ, या तेरे मंसूबों की
जुबां पे कुछ, तो आँखों में कुछ और है !!
...
इस शहर में किसे आईना दिखाएँ हम 'उदय'
सच की आज किसे दरकार है ?
...
बा-अदब तेरे जज्बे को सलाम
कम से कम रिश्ते को तूने दोस्ती का नाम तो दिया !

4 comments:

Pratik Maheshwari said...

रिश्ते भी बड़े पेचीदे होते हैं..

परमजीत सिहँ बाली said...

baDhiyaa!!

दिगम्बर नासवा said...

वाह .... सभी लाजवाब ...

M VERMA said...

वाह .. सुंदर