Wednesday, April 4, 2012

दम ...

चुनावी नतीजों ने, उनके गुरुर को बेदर्दी से तोड़ा है
वर्ना ! आज भी, गाँव में नहीं दिल्ली में होते हुजूर !!
...
बहुत भारी तजुर्बा है, ऐंसा दम भरते थे जनाब
ज्यों ही नाम पूंछा हसीना ने, पसीना आ गया !
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सच ! एक अर्से से, जिसे रोज दुआओं में मांग रहे थे हम
लो, आज उसने ही, किसी और को मांग लिया है हमसे !

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!

देहात की नारी said...

उत्तम लेखन, बढिया पोस्ट - देहात की नारी का आगाज ब्लॉग जगत में। कभी हमारे ब्लाग पर भी आईए।