तुझपे भी उतना, जितना खुद पे एतबार है हमको
पर, 'सांई' की मर्जी, तो 'सांई' ही जाने है !!
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सच ! न कर गुमां, तू अपनी खुबसूरती पर
दिल हमारा तो, तेरी अदाओं का कायल है !
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देखना ! मेरा नाम लेते लेते, तेरी जुबां न लड़खड़ाए
भले चाहे तू दूजे पल, मुझे अपना रकीब कह देना !!
1 comment:
बहुत बढिया रचना है। बधाई स्वीकारें।
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