"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
रहबर एक पा जाये मंजिल हमारे यूँ भटकने से समझो हो गया हासिल अंधेरे में जुगनियाने का।
स्वयं प्रसन्न रह औरों को प्रसन्न रखने का।
Post a Comment
2 comments:
रहबर एक पा जाये मंजिल हमारे यूँ भटकने से
समझो हो गया हासिल अंधेरे में जुगनियाने का।
स्वयं प्रसन्न रह औरों को प्रसन्न रखने का।
Post a Comment