अपुन भी पुस्तक लिख रहा हूँ पुस्तक का टाइटल है - "क्या प्यार इसी को कहते हैं ?" ... इसी पुस्तक के कुछ अंश -
" ...
रात में बिस्तर पर पड़े पड़े नेहा मन में सोचती है कि - क्या अजब इत्तफाक है कि एक तरफ प्रेम का दिल निधी की टच से झनझना रहा है और वहीं दूसरी ओर उसे खुद पता नहीं है कि ऐंसा क्यों हो रहा है ... और तो और निधी भी अंजान है, कल इस मसले पर गहन सोच-विचार करना पडेगा कि ऐंसा क्यों हो रहा है, कहीं ऐंसा न हो निधी और प्रेम दोनों अंजान हों तथा दोनों एक-दूसरे को लम्बे समय से पसंद कर रहे हों ... पर इतना तो तय है कि - दिल का धड़कना ... किसी के बस में नहीं होता, जब वह धड़कता है तो धड़कते चलता है ... खुशी की बात तो ये है कि अपुन का बुद्धू दोस्त प्रेम ... चलो ठीक है यदि उसे प्यार हो भी रहा है तो ये खुशी की बात है, पर निधी ... निधी को क्यूँ महसूस नहीं हो रहा, कहीं ऐंसा तो नहीं वह कुछ छिपा रही है ... खैर देखते हैं, आगे क्या होता है ! ... कब तक कोई बात दिल में छिपी रहेगी, आज नहीं तो कल उसे बाहर तो आना ही है ... और रही बात प्यार-व्यार की तो, कौन-सा अपुन भी इस मामले में पीएचडी की डिग्री लेके बैठा है, जैसे वे दोनों नौसिखिये, वैसे ही अपुन भी ... पर दिल का धड़कना, झनझना जाना ... कुछ अद्भुत सा है ... क्या प्यार इसी को कहते हैं ? ... अब इस सवाल का जवाब तो वक्त ही देगा ... देखते हैं कल क्या कहानी होती है ... सो जाओ नेहा ... गुड नाईट !
... "
2 comments:
uday bhaai aapki pustak to sabhi ko psnd aayegi iski prtiyaan bhut bhut adhik chpvaana bhaai mubark ho khuda aapko jldi kaamyab kre .akhtar khan akela kota rajsthan
behtreen....
Post a Comment