अपुन भी पुस्तक लिखना शुरू किया हूँ पुस्तक का टाइटल है - "क्या प्यार इसी को कहते हैं ?" ... इसी पुस्तक के कुछ अंश -
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निधी - उस टाईप बोले तो ... ये टाईप क्या होता है यार !
नेहा - तू भी, अब क्या तुझे टाईप भी समझाना पडेगा !
निधी - नहीं यार, मैं तो सोच रही थी कि वो तेरा उस टाईप का ही फ्रेंड है !
नेहा - चल छोड़ मस्ती मत कर, जितना बोलती हूँ उतना कर, बाद में समझाऊंगी क्यों बोल रही हूँ ऐंसा करने के लिए !
निधी - ठीक है, जैसा बोलती है कर देती हूँ मेरा क्या जाता है ... टकराने से कौन-सा वो मेरा कुछ ले जाएगा, इशारा कर उसे आने के लिए मैं आज टकरा के उसकी बैंड बजा देती हूँ !
बर्थ डे पार्टी की भीड़ में नेहा का इशारा पाकर प्रेम उसकी ओर आने लगता है इसी बीच निधी अंजान बनते हुए उसके कंधे से कंधा टकराते हुए आगे निकल जाती है ... यह देख नेहा मन ही मन मुस्कुराने लगती है, इसी बीच प्रेम उसके सामने पहुँच जाता है ...
प्रेम - नेहा, चल यार चल चलते हैं अब यहाँ एक मिनट भी नहीं रुकेंगे !
नेहा - क्यों, क्या हो गया, अभी तो पार्टी शुरू हुई है नाचना-गाना, धूम-धडाका तो अभी बाकी है !
प्रेम - यार यहाँ मेरी जान निकल रही है और तुझे नाचने-गाने की पडी है, देख मेरे दिल की धड़कन कितना तेज धडाधडा रही है, यहाँ रुका रहा तो कहीं मेरी जान ही न निकल जाए !
नेहा - तू भी यार, फर्स्ट ईयर में पहुँच गया है और आज भी वही बच्चों जैसी बातें कर रहा है, पार्टी में आए हैं नाच-गाना तो होगा ही, एक काम कर इतनी सारी लड़कियाँ हैं किसी एक को पसंद कर, मैं उससे अभी तेरी दोस्ती करा देती हूँ !
प्रेम - नेहा तू समझती क्यूँ नहीं है यार, अभी अभी निधी मुझसे अनजाने में टकरा गई है उसी से मेरी दम फूल रही है ... छूकर देख मेरे दिल को, कहीं हार्ट फ़ैल न हो जाए ... और तू कहती है कि किसी लड़की से दोस्ती करा देती हूँ, क्या मेरी जान लेकर ही तू दम लेगी !
नेहा - अच्छा चल निधी से ही तेरी दोस्ती करा देती हूँ !
प्रेम - मैं तेरे हाँथ जोड़ता हूँ मेरी माँ ... मुझे न तो निधी में इंटरेस्ट है, और न ही किसी दूसरी लड़की में ... चल घर निकल लेते हैं !
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1 comment:
uday bhai kya baat hai .akhtar khan akela kota rajsthan
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