भाई साहब मैं मर जाऊंगा
मेरी धड़कनें रुक जायेंगी
सांस लेना मुश्किल हो जाएगा
मेरी बीवी घर से निकाल देगी
शान-सौकत सब चली जायेगी
किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूँगा
मुझे करने दो, थोड़ा-बहुत ही सही
पर मुझे भ्रष्टाचार कर लेने दो !
मैं भ्रष्ट हूँ, भ्रष्टाचारी हूँ
इरादतन भ्रष्टाचार का आदि हो गया हूँ
आज तक एक भी ऐसा काम नहीं किया
जिसमे भ्रष्टाचार न किया हो
लोग मेरे नाम की मिसालें देते हैं
मुझे जीने दो, मेरी हाय मत लो
मेरी हाय तुम्हें चैन से बैठने नहीं देगी
क्यों, क्योंकि मैं एक ईमानदार भ्रष्टाचारी हूँ !
मेरी नस नस में भ्रष्टाचार दौड़ रहा है
दिल की धड़कनें भ्रष्टाचार से चल रही हैं
मान लो, मेरी बात मान लो
मुझे, सिर्फ मुझे, भ्रष्टाचार कर लेने दो
तुम हाय से बच जाओगे
और मेरी दुआएं भी मिलेंगी
यही मेरी पहली और अंतिम अर्जी है
क्यों, क्योंकि मैं एक ईमानदार भ्रष्टाचारी हूँ !
20 comments:
प्रशंसनीय अभिव्यक्ति
चलिये माना तो सही...
आप तो नहा धोकर ही पीछे पड गये भष्ट्राचारियो के
सुन्दर अभिव्यक्ति
वाह ! इतना सुन्दर विशेषण .......ईमानदार भ्रष्टचार ... बहुत अच्छी लगी आपकी रचना .. सच !
सशक्त व स्पष्ट संदेश।
बढ़िया...व्यंग्याभिव्यक्ति ........साधुवाद स्वीकारें
इमानदार भ्रिष्टाचारी ! हा हा हा ! शायद ऐसे भी होते हैं ।
ईमानदार भ्रष्टाचारी - ठीक ही तो कहा है।
भ्रस्टाचार पर तीखा व्यंग्य, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण,
आपका धन्यवाद,
uday ji bahut hi achhi rachana hai ,karara vyang hai ,badhai
ईमानदार भ्रष्टाचारी ...यह भी एक अलग विशेषता है ...अच्छी प्रस्तुति
YAAR AAPNE TO KAMAL KAR DIYA . aPNE MADHYAM SE SAHI BAT KAH KAR PARDA HI UTHA DIYA.BHRASTACHAR PAR TIKHA AUR NIRMAM PRAHAR KE LIYE AAP DHANYAVAD KE PATRA HAIN.plZ. VISIT MY NEW POST.
सच मे ईमानदार है तभी तो मान रहा है…………सुन्दर कटाक्ष्। बेहतरीन प्रस्तुति।
किसी ने कहा था, भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन गया है.
bahut hi sateek abhivykti.bahut hi khoobsurati ke aapne kavita ke saar
ko vishleshit kiya hai.
poonam
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चलो कहीं तो ईमानदारी जिन्दा है... ;)
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भ्रष्टाचात भी ईमानदारी से ....!
अच्छी अभिव्यक्ति।
ईमानदार भ्रष्टाचारी हूँ!!!!
इक दम झकास. मज़ा आ गया. करार व्यंग.
बेहतरीन प्रस्तुति।
श्याम जी आपने इस कविता के द्वारा अधिकारिओं में व्याप्त भ्रष्ट नीतिओं को भी ईमानदारी से निभाने के पिछे उनकी मज़बुरिओं का व्यंगात्मक चित्रण प्रस्तुत किया है , जो एक तरफ हमें गुदगुदाता है वहीँ आज के नौकरशाह की आम रवैये को भी दर्शाता है ।
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