कल रात बेचैनी थी
नींद खुल गई
बिस्तर पर पड़े पड़े
करवट बदलता रहा
दस से पंद्रह मिनट
फिर उठकर बैठ गया !
थोड़ी देर बाद ही
खिड़की के पास
खडा हो ताजी हवा
के झोंके लेते लेते
नीचे सड़क के पार
नजर जा टिकी !
एक लड़की खडी थी
फ्राक पहने हुए
ठंड में सिकुड़ते हुए
न जाने क्यूं
शायद इंतज़ार में
सवाल ! पर किसके !
अन्दर नजर दौड़ाई
घड़ी पर देखा
सुबह के साढ़े चार
बज रहे थे
फिर मेरी नजर
जा टिकी लड़की पर !
मैं कुछ सोचता
तब तक वहां एक
लड़का आ पहुंचा
दोनों कुछ पल बातें
गुपचुप करते रहे
न जाने क्या !
लडके ने लड़की को
गुलाब फूल दिया
दोनों कुछ बुद-बुदाये
और चले गए, मैंने सोचा
कडकडाती ठण्ड ! क्या है
शायद ! प्रेम कहानी !!!
20 comments:
सुन्दर रचना, आभार
ते कहानी तो हर मौसम की है, हां सर्दी की बात ही कुछ और है ....
प्रेम के असंख्य रूप !
Jaise prem na dekhe jaat kujaat..waise hi prem na samjhe thand barsaat :)
प्रेम मे किसने देखा आंधी तूफ़ान फिर ठंड की क्या बिसात्।
प्रेम को महसूस करना ही प्रेम करना है।
..सुंदर एहसास।
लडके ने लड़की को
गुलाब फूल दिया
दोनों कुछ बुद-बुदाये
और चले गए, मैंने सोचा
कडकडाती ठण्ड ! क्या है
शायद ! प्रेम कहानी
जाड़े में प्रेम,जाड़ा गायब
प्रेम तो शायद ठंड और गर्म से परे है
सुन्दर रचना
प्रेमियो को सर्दी, गर्मी और बरसात क्या चिंता
सुन्दर रचना
प्रेम को महसूस करना ही प्रेम करना है।
..सुंदर एहसास।
जनाब जाड़े की ठण्ड... और जोरों की लू ... न जाने कितने गुल खिलाते हैं ...ये गुल ही तो प्रेम हैं ...
सुबह के साढ़े चार बजे जागने वाले तो प्रेमी होते हैं । फिर आप ---?
हमने तो दो प्रेमियों को सुबह टहलते हुये भी देखा है।
बेहतरीन लेखन
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
प्रेम की प्रेरणा यही है शायद।
प्रेमियो को सर्दी,
..........सुन्दर रचना
प्रेम कहनी तो ठीक है पर आप क्यों करवट बदल रहे थे .....प्रव्हाह्मयी रचना .
वाह! बेहतरीन!
ये कड़कती ठण्ड ही है .... लाजवाब ...
बेहतरीन है सर...मस्त..
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