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दो-चार दिन का सफ़र बचा है, यह सोच वह मुझे अस्पताल में पटक गया
पंद्रह दिन बाद मुझे हस्ट-पुष्ट आता देख, वह दिल-पे हाथ रख शार्टकट से सटक गया !
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दो-चार दिन का सफ़र बचा है, यह सोच वह मुझे अस्पताल में पटक गया
पंद्रह दिन बाद मुझे हस्ट-पुष्ट आता देख, वह दिल-पे हाथ रख शार्टकट से सटक गया !
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13 comments:
vaah bahut badhiya sher uday bhai ...
हा हा ...बढ़िया व्यंग
बहुत बढिया उदयजी, लेकिन व्यंग की लम्बाई चार लाईन तक तो जाने ही दीजिये ।
Ha,ha,ha!
उदय भाई, गजब का शॉट मारा है। जय हो।
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ग्राम, पौंड, औंस का झमेला। <
विश्व की दो तिहाई जनता मांसाहार को अभिशप्त है।
उदय भाई, गजब का शॉट मारा है। जय हो।
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ग्राम, पौंड, औंस का झमेला। <
विश्व की दो तिहाई जनता मांसाहार को अभिशप्त है।
ला-जवाब" जबर्दस्त!!
uski smartness uspar hi bhaari pad gayi
shyam ji chutki to achchi he . akhtar khan akela kota rajsthan
उधारी का मामला लगता है...
उदय जी, देखन में छोटे लगे और घाव करे गंभीर।
बहुत शानदार।
हा-हा-हा...
सच है..!
शायद .. कड़वा भी।
कविताओं के जरिए मौजूदा हालात पार सटीक और मारक वक्रोक्तियां है आपकी. मजा आ रहा है. आज के युवा वर्ग , बाबावाद, पाखंड,कन्ज्युमेरिज्म ,सिय्सी नूरान कुश्ती, भ्रष्टाचार और घोटालों के रिकार्ड पर भी लिखिए.-किशोर दिवसे, बिलासपुर,छत्तीसगढ़
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