"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
वाह वाह्……॥क्या बात है…………॥
चाहते भी रहो, और खामोश भी रहो। ...khubsurat ehsaas.
दो पंक्तियों में बड़ी गहरी बात|ब्रह्मांड
प्यार अंधे के साथ साथ गूंगा भी हो जाता है कभी कभी ! आँखे मगर फिर भी बोलती है!
सच यही तो सबसे जानलेवा स्थिति है……………बेहद उम्दा बात कह दी चंद लफ़्ज़ों मे ही……………………गज़ब कर दिया।
चाहते भी रहो, और खामोश भी रहो। ...बहुत खूबसूरती से भावों को पिरोया...उत्तम प्रस्तुति..बधाई. ________________'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
यही तो ख़ासियत है ....
द्वन्द घातक है।
sundar bhaav
क्या बात है .....अच्छी पंक्तिया है ....http://thodamuskurakardekho.blogspot.com
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वाह वाह्……॥क्या बात है…………॥
चाहते भी रहो, और खामोश भी रहो।
...khubsurat ehsaas.
दो पंक्तियों में बड़ी गहरी बात|
ब्रह्मांड
प्यार अंधे के साथ साथ गूंगा भी हो जाता है कभी कभी ! आँखे मगर फिर भी बोलती है!
सच यही तो सबसे जानलेवा स्थिति है……………बेहद उम्दा बात कह दी चंद लफ़्ज़ों मे ही……………………गज़ब कर दिया।
चाहते भी रहो, और खामोश भी रहो। ...बहुत खूबसूरती से भावों को पिरोया...उत्तम प्रस्तुति..बधाई.
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'शब्द सृजन की ओर' में 'साहित्य की अनुपम दीप शिखा : अमृता प्रीतम" (आज जन्म-तिथि पर)
यही तो ख़ासियत है ....
द्वन्द घातक है।
sundar bhaav
क्या बात है .....अच्छी पंक्तिया है ....
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