चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भ्रष्टतंत्र के कीड़ों से, लोकतंत्र को आजाद करें !
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भय-दहशत के शूरमाओं से, जनतंत्र को आजाद करें !
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
झूठे,फरेबी, मक्कार इंसानों से, देश को आजाद करें !
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
अमीरों के चंगुल में फंसे गरीबों को आजाद करें !
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
मौकापरस्त जननेताओं से जनता को आजाद करें !
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
आधुनिक संस्कृति में फंसे, सु-संस्कारों को आजाद करें !
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
भेडियानुमा आँखों से, लोक-लाज को आजाद करें !
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
धार्मिक सरहदों में फंसे भाईचारे को आजाद करें !
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें !
बोली-भाषा, रंग-रूप, आचार-विचार, से खुद को आजाद करें !!
12 comments:
मौकापरस्त जननेताओं से जनता को आजाद करें
nice
बहुत सुंदर और सरल ....
बेहतरीन और सटीक!
सरल सहज भाषा में सबको आव्हान ।
सरल और गेय कविता है
बहुत बढिया
आभार
मिलते हैं ब्रेक के बाद
दुनिया बदलने का मियां 'मजाल', तरीका आसां इजाद करे,
दुनिया करे फिकर अपनी, और हम खुद को आज़ाद करे.
all iss welll
प्रशंसनीय ।
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
अमीरों के चंगुल में फंसे गरीबों को आजाद करें
चलो आजाद करें, बढ़ो आजाद करें
मौकापरस्त जननेताओं से जनता को आजाद करें..
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! इस शानदार रचना के लिए बधाई!
सही है , आज़ादी के कई मायने अभी बाकि हैं ।
सार्थक संदेश ... इन सब से आज़ाद हो सकें तो सुकून हो जाए ...
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