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मैं मानता हूं, खुदा सचमुच मेरा खुदा है
पर उसके रास्ते पर चल पाना बेहद जुदा है ।
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मैं मानता हूं, खुदा सचमुच मेरा खुदा है
पर उसके रास्ते पर चल पाना बेहद जुदा है ।
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7 comments:
बेहतरीन
सुन्दर पोस्ट, छत्तीसगढ मीडिया क्लब में आपका स्वागत है.
बहुत खूब .. क्या बात कह दी ...
मुसल है जिस का ईमान वोही चल सकता है खुदा के बताये रास्ते पर, जरुरी नही वो मुसल मान ही हो.... क्योकि मुसल मान बनने से किसी का ईमान मुसल नही हो जाता, आप के इस छोटे से शेर ने बहुत गहरी बात कह दी.
धन्यवाद
निदा साहब का एक कलाम याद आ रहा है :
घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलो यूँ कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए.
वाह , क्या बात है ।
बहुत खूब ।
बहुत बढिया!
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