Thursday, May 13, 2010

चिट्ठे-चर्चे !!

छीछा-लेदर
नौंक-झौंक
गाली-गुल्ली
नामी-बेनामी

लडो-भिडो
गिरो-पडो
पटका-पटकी
मत-करो

नींबू-मिर्ची
काला-टीका
आरती-पूजा
करो-करो

भूत-प्रेत
दीमक-घुन
भूखे-प्यासे
कूद-पडे

बचो-बचाओ
चिट्ठे-चर्चे
जान-बचाओ
चिट्ठे-चर्चे !!

16 comments:

मनोज कुमार said...

बचो-बचाओ
चिट्ठे-चर्चे
जान-बचाओ
चिट्ठे-चर्चे !!
श्याम जी अच्छी अभिव्यक्ति!

honesty project democracy said...

उम्दा प्रस्तुती,विचारणीय अभिव्यक्ति /

राजीव तनेजा said...

धींगामुश्ती...
ओ.के..ओ.के
लाठी-बल्लम
वैलकम वैलकम ....

बढ़िया प्रस्तुति

राजकुमार सोनी said...

कम शब्दों में, पूरी भावना के साथ आपने अपनी बात रख दी। अब जरूरत से ज्यादा समझदार लोग इसे नहीं समझेंगे तो यह उनका कसूर है।
पूरी कविता नंगा सच है।

arvind said...

भूत-प्रेत
दीमक-घुन
भूखे-प्यासे
कूद-पडे
....पूरी भावना के साथ ,उम्दा प्रस्तुती,विचारणीय
bhut pret?aapne jo lay pakada hai usse to lagata hai kahi aap bhi isake shikaar to nahi...??.....majak kar raha hun shyam bhai....acchaa jor pakadaa hai...pls continue jab tak ye chitthaa charcha ek mahakaavy kaa rup n le le.

Unknown said...

aanand aa gaya ...........

Unknown said...

aanand aa gaya

नरेश सोनी said...

यार उदय जी,
कहां से निकालते हो ऐसी पंक्तियां।

नरेश सोनी said...

ब्लाग जगत का पूरा सार इन चंद शब्दों में समा गया।
कमाल कर दिया भाई।

अविनाश वाचस्पति said...

वेल कम नहीं
इसमें वेल अधिक है
वेल मतलब ?

kshama said...

Mazedar!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत बढिया प्रस्तुति

बढिया कविता

बाजा फ़ाड़ना है क्या?

सूर्यकान्त गुप्ता said...

उदय ही, नही पूरे शबाब पर है आपकी रचना।सुन्दर! वाकई कड़वा सच है।

Kumar Jaljala said...

जनाब ये अनूप शुक्ला और हजरत ज्ञानदद ने सारा महौल खराब कर रखा है। इनका बायकाट करना ही पहली कोशिश होनी चाहिए.
वैसे कुछ देर पहले शुक्ला साहब से मैंने फोन पर बात की थी तब उन्होंने बताया कि उनका मकसद वैसा नहीं था जैसा हो गया है. शुक्ला साहब ने यह भी कहा कि ज्ञानदद ने उनसे लिखने के पहले पूछा जरूर था। उन्हें क्या मालूम था कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी. वे ब्लागिंग की दुनिया को अलविदा करने की बात भी कर रहे थे. महौल गंदा हो चुका है.

डा० अमर कुमार said...


इसे राष्ट्रीय चिट्ठागीत न बना दिया जाये ?
सॅमथिंग लाइक, वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो टाइप

अनूप शुक्ल said...

बड़ा मजेदार प्रयाणगीत है!

ये कुमार जलजला कौन भाई हैं जो पर्दे में हैं और हमसे बात कर गये और हमें पता ही नहीं चला।