भूत-प्रेत दीमक-घुन भूखे-प्यासे कूद-पडे ....पूरी भावना के साथ ,उम्दा प्रस्तुती,विचारणीय bhut pret?aapne jo lay pakada hai usse to lagata hai kahi aap bhi isake shikaar to nahi...??.....majak kar raha hun shyam bhai....acchaa jor pakadaa hai...pls continue jab tak ye chitthaa charcha ek mahakaavy kaa rup n le le.
जनाब ये अनूप शुक्ला और हजरत ज्ञानदद ने सारा महौल खराब कर रखा है। इनका बायकाट करना ही पहली कोशिश होनी चाहिए. वैसे कुछ देर पहले शुक्ला साहब से मैंने फोन पर बात की थी तब उन्होंने बताया कि उनका मकसद वैसा नहीं था जैसा हो गया है. शुक्ला साहब ने यह भी कहा कि ज्ञानदद ने उनसे लिखने के पहले पूछा जरूर था। उन्हें क्या मालूम था कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी. वे ब्लागिंग की दुनिया को अलविदा करने की बात भी कर रहे थे. महौल गंदा हो चुका है.
16 comments:
बचो-बचाओ
चिट्ठे-चर्चे
जान-बचाओ
चिट्ठे-चर्चे !!
श्याम जी अच्छी अभिव्यक्ति!
उम्दा प्रस्तुती,विचारणीय अभिव्यक्ति /
धींगामुश्ती...
ओ.के..ओ.के
लाठी-बल्लम
वैलकम वैलकम ....
बढ़िया प्रस्तुति
कम शब्दों में, पूरी भावना के साथ आपने अपनी बात रख दी। अब जरूरत से ज्यादा समझदार लोग इसे नहीं समझेंगे तो यह उनका कसूर है।
पूरी कविता नंगा सच है।
भूत-प्रेत
दीमक-घुन
भूखे-प्यासे
कूद-पडे
....पूरी भावना के साथ ,उम्दा प्रस्तुती,विचारणीय
bhut pret?aapne jo lay pakada hai usse to lagata hai kahi aap bhi isake shikaar to nahi...??.....majak kar raha hun shyam bhai....acchaa jor pakadaa hai...pls continue jab tak ye chitthaa charcha ek mahakaavy kaa rup n le le.
aanand aa gaya ...........
aanand aa gaya
यार उदय जी,
कहां से निकालते हो ऐसी पंक्तियां।
ब्लाग जगत का पूरा सार इन चंद शब्दों में समा गया।
कमाल कर दिया भाई।
वेल कम नहीं
इसमें वेल अधिक है
वेल मतलब ?
Mazedar!
बहुत बढिया प्रस्तुति
बढिया कविता
बाजा फ़ाड़ना है क्या?
उदय ही, नही पूरे शबाब पर है आपकी रचना।सुन्दर! वाकई कड़वा सच है।
जनाब ये अनूप शुक्ला और हजरत ज्ञानदद ने सारा महौल खराब कर रखा है। इनका बायकाट करना ही पहली कोशिश होनी चाहिए.
वैसे कुछ देर पहले शुक्ला साहब से मैंने फोन पर बात की थी तब उन्होंने बताया कि उनका मकसद वैसा नहीं था जैसा हो गया है. शुक्ला साहब ने यह भी कहा कि ज्ञानदद ने उनसे लिखने के पहले पूछा जरूर था। उन्हें क्या मालूम था कि बात इतनी आगे बढ़ जाएगी. वे ब्लागिंग की दुनिया को अलविदा करने की बात भी कर रहे थे. महौल गंदा हो चुका है.
इसे राष्ट्रीय चिट्ठागीत न बना दिया जाये ?
सॅमथिंग लाइक, वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो टाइप
बड़ा मजेदार प्रयाणगीत है!
ये कुमार जलजला कौन भाई हैं जो पर्दे में हैं और हमसे बात कर गये और हमें पता ही नहीं चला।
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