Saturday, March 13, 2010

शेर

अभी टूटा कहां हूं, जो तुम्हें टुकडे नजर आएं
अभी है हौसला बांकी, और पत्थरों से जंग जारी है।

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जीत कर भी, क्यूं भला खामोश हो तुम
हार कर भी हम, तेरी खुशियों में खडे हैं।

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कोई कहता रहा कुछ रूठकर मुझसे
मिले जब, फ़िर वही खामोशियां थीं।

4 comments:

M VERMA said...

जीत कर भी, क्यूं भला खामोश हो तुम
हार कर भी हम, तेरी खुशियों में खडे हैं।

बहुत सुन्दर शेर सभी के सभी

राज भाटिय़ा said...

कोई कहता रहा कुछ रूठकर मुझसे
मिले जब, फ़िर वही खामोशियां थीं।
बहुत सुंदर

Apanatva said...

sunder abhivykti..........

कोई कहता रहा कुछ रूठकर मुझसे
मिले जब, फ़िर वही खामोशियां थीं।

khaaskar ye panktiya choo gayee........

डॉ टी एस दराल said...

सभी शेर सुन्दर ।