"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
'कर्म का प्रत्येक अंशमेरे भाग्य की आधारशिला होगी'-हमारे कर्म हमारा भाग्य लिखते हैं/बनाते हैं .ग़ूढ ज्ञान की बात कह दी आप ने चन्द पंक्तियों में !
सत्य का परिचय कराती आपकी ये रचना .......बहुत खूब
devesh ji ne sahi kaha hai..satya se prochaya karati rachaa
हर पलमेरे विचार - मेरे कर्मही मेरे भाग्य बनेंगेऔर मैं एक बहुत सुंदर संदेश देती आप की यह सुंदर कविता.धन्यवाद
हर पलमेरे विचार - मेरे कर्मही मेरे भाग्य बनेंगेऔर मैं ................. । क्या दृढ़ निश्चय हैसाधुवाद
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5 comments:
'कर्म का प्रत्येक अंश
मेरे भाग्य की आधारशिला होगी'
-हमारे कर्म हमारा भाग्य लिखते हैं/बनाते हैं .
ग़ूढ ज्ञान की बात कह दी आप ने चन्द पंक्तियों में !
सत्य का परिचय कराती आपकी ये रचना .......बहुत खूब
devesh ji ne sahi kaha hai..
satya se prochaya karati rachaa
हर पल
मेरे विचार - मेरे कर्म
ही मेरे भाग्य बनेंगे
और मैं
एक बहुत सुंदर संदेश देती आप की यह सुंदर कविता.
धन्यवाद
हर पल
मेरे विचार - मेरे कर्म
ही मेरे भाग्य बनेंगे
और मैं ................. ।
क्या दृढ़ निश्चय है
साधुवाद
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