अभी टूटा कहां हूं, जो तुम्हें टुकडे नजर आएं
अभी है हौसला बांकी, और पत्थरों से जंग जारी है।
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जीत कर भी, क्यूं भला खामोश हो तुम
हार कर भी हम, तेरी खुशियों में खडे हैं।
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कोई कहता रहा कुछ रूठकर मुझसे
मिले जब, फ़िर वही खामोशियां थीं।
अभी है हौसला बांकी, और पत्थरों से जंग जारी है।
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जीत कर भी, क्यूं भला खामोश हो तुम
हार कर भी हम, तेरी खुशियों में खडे हैं।
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कोई कहता रहा कुछ रूठकर मुझसे
मिले जब, फ़िर वही खामोशियां थीं।
4 comments:
जीत कर भी, क्यूं भला खामोश हो तुम
हार कर भी हम, तेरी खुशियों में खडे हैं।
बहुत सुन्दर शेर सभी के सभी
कोई कहता रहा कुछ रूठकर मुझसे
मिले जब, फ़िर वही खामोशियां थीं।
बहुत सुंदर
sunder abhivykti..........
कोई कहता रहा कुछ रूठकर मुझसे
मिले जब, फ़िर वही खामोशियां थीं।
khaaskar ye panktiya choo gayee........
सभी शेर सुन्दर ।
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