अंधेरे उजालों से कहीं बेहतर हैं
वहाँ हैं तो सभी, पर दिखते नहीं हैं
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भीड़ में चैन नहीं मिलता
सुकून की चाह में तनहा हूँ
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क्यों खो रहे हो रातों का सुकून
हाय-तौबा जिंदगी भर अच्छी नहीं यारा
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'उदय' कहता है , जख्मों को छिपा कर रखना यारो
जो भी देखेगा, कुरेद ... ... ...
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चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए
तुम झुकते नहीं, और ... ... ...
6 comments:
अंधेरे उजालों से कहीं बेहतर हैं
वहाँ हैं तो सभी, पर दिखाते नहीं हैं
अति सुन्दर
Sukoon sukoon, huzoor,
kahaan hai sukoon?
jhalli-kalam-se
angrezi-vichar.blogspot.com
jhalli gallan
अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
bahut vadhia kavita hai....
उदय' कहता है , जख्मों को छिपा कर रखना यारो
जो भी देखेगा, कुरेद के चला जाएगा
sach kaha ....... jeevan ka kaduva saty hai ye .... kamaal ka sher ...
चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए
तुम झुकते नहीं, और मै चौखटें ऊंची कर नही पाता||
ग़ज़ब भाई एक एक शेर अमूल्य सच मुच रोम खड़े हो जाते है !!
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