‘उदय’ तेरे शहर में, हसीनों का राज है
तुम भी हो बेखबर, और हम भी हैं बेखबर ।
तुम भी हो बेखबर, और हम भी हैं बेखबर ।
"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
न चाहो उन्हे तुम, जिन्हे तुम चाहते हो
चाहना है, तो उन्हे चाहो, जो तुमको चाहते हैं।