Sunday, December 28, 2008

शेर - 4

‘उदय’ तेरे शहर में, हसीनों का राज है
तुम भी हो बेखबर, और हम भी हैं बेखबर ।

4 comments:

हरकीरत ' हीर' said...

उदय’ तेरे शहर में, हसीनों का राज है
तुम भी हो बेखबर, और हम भी हैं बेखबर ।

bhot khub...!! kuch alag hat k hai...

ilesh said...

short and sweet....

Bahadur Patel said...

kya baat hai.badhai.

Dev said...

First of all Wish u Very Happy New Year...