राजधानी में
एक बड़े नेता और एक बड़े पत्रकार
दोनों
मुस्कुरा रहे थे
और
एक दूसरे की पीठ थप-थपा रहे थे
देख कर लगा
देश उन्नति में है, विकास की डोर सही हाथों में है
लेकिन, नहीं, शायद, सच्चाई कुछ और थी,
सामने पड़े एक अखबार के पन्ने पर -
तीन किसानों के आत्महत्या,
पांच लोगों के भूख से मरने,
एक मासूम बच्ची के साथ गैंग रेप,
एक दलित को सिर पर चप्पल रख कर घुमाने,
इत्यादि, खबरें ...... सुर्खियां बनीं थीं
उन्नति ... विकास .... मुस्कुराहट ... थप-थपाहट ....
उफ्फ ... शायद .. सब भ्रम है ??
~ श्याम कोरी 'उदय'
एक बड़े नेता और एक बड़े पत्रकार
दोनों
मुस्कुरा रहे थे
और
एक दूसरे की पीठ थप-थपा रहे थे
देख कर लगा
देश उन्नति में है, विकास की डोर सही हाथों में है
लेकिन, नहीं, शायद, सच्चाई कुछ और थी,
सामने पड़े एक अखबार के पन्ने पर -
तीन किसानों के आत्महत्या,
पांच लोगों के भूख से मरने,
एक मासूम बच्ची के साथ गैंग रेप,
एक दलित को सिर पर चप्पल रख कर घुमाने,
इत्यादि, खबरें ...... सुर्खियां बनीं थीं
उन्नति ... विकास .... मुस्कुराहट ... थप-थपाहट ....
उफ्फ ... शायद .. सब भ्रम है ??
~ श्याम कोरी 'उदय'
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