चलो निपट गया
एक……… और कुंभ
कुछेक स्वयम्भुओं … एक……… और कुंभ
को पुण्य मिल गया ?
…
आज, तमाम अपराधी संदेही हैं, या फरार हैं
अब और, ………… हम क्या कहें 'उदय' ?
…
सच ! न टोपी, न टीका, न माला, न टोटके
हम कैसे मान लें 'उदय', कि तुम ज्ञानी हो ?
....
क़ुबूल हों तुम्हें …
तमगे, दुशाले औ समारोहों की चका-चौंध
तमगे, दुशाले औ समारोहों की चका-चौंध
हम ! …… हम तो ठहरे औघड़-फक्कड़ ?
1 comment:
bahut hi khubsurat
padhare .....
www.knightofroyalsociety.blogspot.com
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