कोमल पंखुड़ियाँ मसल दी हैं
कल …
कुछ जालिमों ने,
कल …
कुछ जालिमों ने,
तब से अब तक
रोम तक कंप-कंपा रहे हैं मेरे,
रोम तक कंप-कंपा रहे हैं मेरे,
करूँ तो क्या करूँ …
मैं अकेला हूँ,
चलो मिलकर …
कुचल दें
हुकूमत जालिमों-जल्लादों की ?कुचल दें
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