'खुदा' जाने, किस राह पर, किस मोड़ पर हैं
मंजिलों से अब कोई वास्ता नहीं है हमारा ?
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कभी कभी ही सही, मिल लिया करो यारो
कुछ ख्याल अच्छे-बुरे तो होते हैं सभी के ?
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चाहतों के दिये उधर भी जलते हैं इधर भी जलते हैं
पर, कुछ भी कहने से दोनों डरते हैं
देखो ख्याल हमारे कितने मिलते हैं ??
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आज, रंज करें भी तो हम किस बात का करें
उन्ने पहले ही कह दिया था हमपे यकीन मत करना ?
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अब उसे दुनाली कहो या ट्वेल्व-बोर कहो
वो जब भी चलेगी तो जान लेके ही रहेगी ?
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2 comments:
सटीक ख्याल !
नवरात्री की शुभकामनाएं
शम्भू -निशम्भु बध भाग २
सुन्दर रचना !
कृपया मेरे ब्लॉग पर आये और फोल्लोवेर बनकर अपने सुझाव दे
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