दिल भी तुम्हारा है औ हम भी तुम्हारे हैं
जी चाहे जितना चाहे तोड लो मरोड़ लो ?
…
या तो, अभी-अभी
या फिर, … वर्ना, … कोई बात नहीं !!!
…
बड़े इत्मिनान से 'रब' ने तराशा है उसे
सिर से पाँव तक क़यामत सी लगे है ?
…
वो भी डरते हैं हम भी डरते हैं
देखो ख्याल हमारे कितने मिलते हैं ?
…
हुस्न औ जिस्म दोनों की अपनी अपनी कहानी है
कभी सोना, कभी पीतल, तो कभी माटी लगे हैं ?
…
इसे हम धुँआ कहें, या धुंध कहें हम 'उदय'
वो सामने होके भी दिख नहीं रहे हैं आज ?
जी चाहे जितना चाहे तोड लो मरोड़ लो ?
…
या तो, अभी-अभी
या फिर, … वर्ना, … कोई बात नहीं !!!
…
बड़े इत्मिनान से 'रब' ने तराशा है उसे
सिर से पाँव तक क़यामत सी लगे है ?
…
वो भी डरते हैं हम भी डरते हैं
देखो ख्याल हमारे कितने मिलते हैं ?
…
हुस्न औ जिस्म दोनों की अपनी अपनी कहानी है
कभी सोना, कभी पीतल, तो कभी माटी लगे हैं ?
…
इसे हम धुँआ कहें, या धुंध कहें हम 'उदय'
वो सामने होके भी दिख नहीं रहे हैं आज ?
4 comments:
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (12.09.2014) को "छोटी छोटी बड़ी बातें" (चर्चा अंक-1734)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
बहुत सुन्दर !
बहुत सुन्दर !
हुस्न औ जिस्म दोनों की अपनी अपनी कहानी है
कभी सोना, कभी पीतल, तो कभी माटी लगे हैं ?
उत्कृष्ट प्रस्तुति।।।
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