Wednesday, September 10, 2014

ख्याल ...

दिल भी तुम्हारा है औ हम भी तुम्हारे हैं
जी चाहे जितना चाहे तोड लो मरोड़ लो ?

या तो, अभी-अभी
या फिर, … वर्ना, … कोई बात नहीं !!!

बड़े इत्मिनान से 'रब' ने तराशा है उसे 
सिर से पाँव तक क़यामत सी लगे है ?

वो भी डरते हैं हम भी डरते हैं
देखो ख्याल हमारे कितने मिलते हैं ?

हुस्न औ जिस्म दोनों की अपनी अपनी कहानी है
कभी सोना, कभी पीतल, तो कभी माटी लगे हैं ?

इसे हम धुँआ कहें, या धुंध कहें हम 'उदय'
वो सामने होके भी दिख नहीं रहे हैं आज ? 

4 comments:

Rajendra kumar said...

आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (12.09.2014) को "छोटी छोटी बड़ी बातें" (चर्चा अंक-1734)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

देवदत्त प्रसून said...

बहुत सुन्दर !

देवदत्त प्रसून said...

बहुत सुन्दर !

Ankur Jain said...

हुस्न औ जिस्म दोनों की अपनी अपनी कहानी है
कभी सोना, कभी पीतल, तो कभी माटी लगे हैं ?

उत्कृष्ट प्रस्तुति।।।