रौंपे जा रहे हैं पौधे
खेतों में, छोटी-छोटी बाड़ियों में
इस उम्मीद से
कि -
बादल बरसेंगे, जरूर बरसेंगे,
क्यों ? क्योंकि -
उनकी …
यही तो, एक उम्मीद है, आस है,
गर, नहीं बरसे, तो …
उनके घरों में … चूल्हों में …
सूखा … अकाल … तय है ???
1 comment:
अच्छी प्रगतिवादी रचना!
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