हमने तो सिर्फ
अपने लोगों से अच्छे दिन आने की बात कही थी 'उदय'
अपने लोगों से अच्छे दिन आने की बात कही थी 'उदय'
गर, कुछ मूर्खों औ धूर्तों ने भी
गलतफहमी पाल ली, तो इसमें हमारा क्या कुसूर ???
…गलतफहमी पाल ली, तो इसमें हमारा क्या कुसूर ???
हम जानते हैं 'उदय', कि वो झूठ के पुलिंदे हैं
फिर भी, वो………………हमारे शहंशाह हैं ?
…
दर्द और दवा, दोनों ही दुकानें अपनी हैं
बस, कुछ इस तरह …
चित्त भी अपनी है औ पट्ट भी अपनी ?
1 comment:
अच्छी प्रगतिवादी रचना!
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