Sunday, July 13, 2014

अच्छे दिनों की चाह में तिल तिल जीता-मरता लोकतंत्र !

आज मुझे यह लिखते हुए ज़रा भी संकोच नहीं हो रहा है कि अच्छे दिनों की चाह में तिल तिल जी व मर रहा है लोकतंत्र, … कहने को तो हमारा लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा माना व जाने जाना वाला लोकतंत्र है लेकिन, … फिर भी, … स्थिति तिल तिल के जीने व मरने जैसी ही है, अभिप्राय यह है कि देश की संसद से गाँव की पंचायत तक अनिश्चितता व अविश्वास का माहौल है, चँहू ओर विगत कुछ सालों से भ्रष्टाचार व घोटालों की चर्चा आम रही है, आम है, और शायद आगे भी आम रहे।

आज यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि हमारी सम्पूर्ण व्यवस्था में भ्रष्टाचार व घोटालों का जो बोलबाला है वह अपने आप में अदभुत है तथा देश को एक नई पहचान दे रहा है। अगर आज गली-मोहल्लों में भ्रष्टाचार व घोटालों की चर्चा हो रही है तो वह बेमतलब की नहीं हो रही है, वो कहते भी हैं कि बिना आग के धुआँ उठता कहाँ है। भ्रष्टाचार व घोटाले होते रहे हैं, हो रहे हैं, और संभवत: आगे भी होते रहें, इसलिए चर्चा होना जायज है, अन्यथा लोग इतने भी फुर्सत में नहीं हैं कि बेफिझूल की चर्चा में अपना कीमती समय बर्बाद करें।

खैर, दशकों से चले आ रहे अनिश्चितता व अविश्वास के माहौल के बीच विगत दिनों संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में "अच्छे दिन आने वाले हैं … " नारेरुपी दावे व वादे के साथ चुनाव संपन्न हुए हैं तथा उक्त नारे के दम पर ही गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्त्तमान भाजपा सुप्रीमो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ है, नरेंद्र मोदी देश के नए प्रधानमंत्री हैं इसलिये अच्छे दिनों की आस में सबकी निगाहें उन पर जा टिकी हैं, ज्यादा नहीं तो कम से कम आगामी पांच साल तक तो नरेंद्र मोदी के हाथ में अच्छे दिनों की बागडोर है।   

जिस दावे व वादे रूपी नारे "अच्छे दिन आने वाले हैं … " के दम पर नई सरकार ने पदभार संभाला है उस दावे व वादे पर वह कितना खरा उतरेगी यह सवाल सबके जेहन में बिजली की तरह कौंध रहा है ! क्या सचमुच अनिश्चितता व अविश्वास के माहौल में जी व मर रहे लोगों के अच्छे दिन आएंगे, क्या सचमुच भ्रष्टाचार व घोटाले रूपी राक्षसों का अंत होगा, क्या सचमुच मिलावटखोरी, जमाखोरी व मंहगाई से छुटकारा मिल पायेगा, क्या सचमुच विकास व खुशहाली से हम समस्त देशवासी रु-ब-रु हो पाएंगे ? इस तरह के तमाम सवाल सवाल बने रहेंगे या उनके जवाब मिल जाएंगे ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, तब तक जय हिन्द - जय भारत ! 

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