जीत आसां थी पर चुनौतियां कठिन हैं
अब देखते हैं 'उदय', कितने टंच हैं वो ? …
न हैरां हैं, न परेशां हैं
बस, वक्त गुजर रहा है 'उदय' ?
…
चरित्र उनका भी लाजवाब है 'उदय'
चित्त उनकी, पट्ट उनकी, औ है अंटा भी उनके बाप का ?
…
…
खुली जब पोल उनकी तो सकपका गए
जो खुद को 'खुदा' कह रहे थे कल तक ? …
कहीं थक न जाऊं खुद अपनी तकदीर लिखते लिखते
'उदय' तुम, … यूँ ही, … मेरा हौसला बनाये रखना ? …
1 comment:
कहीं थक न जाऊं खुद अपनी तकदीर लिखते लिखते
'उदय' तुम, … यूँ ही, … मेरा हौसला बनाये रखना ?
बहुत सुन्दर सुन्दर भाव ..बधाई
भ्रमर५
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