Friday, May 30, 2014

बेसुध ...

कहीं थक न जाऊं खुद अपनी तकदीर लिखते लिखते
'उदय' तुम, … यूँ ही, … मेरा हौसला बनाये रखना ?
उनके झूठ पे, सौ लोगों ने सच होने की मुहर लगा दी है 'उदय'
और सच, सच हो के भी,… उसे,… बेसुध निहार रहा है आज ?

जरुरत तो नहीं थी बेफिजूल तमाशे की
खैर, कोई बात नहीं, आदत है उनकी ?
… 
उफ़ ! चोट और जख्म कुछ ऐसे हैं हमारे
किये भी हमने हैं, औ सहे भी हैं हमने ?

न इधर … न उधर …
आओ खेलें इधर-उधर ?

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