Monday, August 5, 2013

तमाशा ...

लो 'उदय', बात कहाँ की, कहाँ ले आये हैं वो 
ऐंसा हुनर, किसी और में देखा नहीं हमने ?
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उनका चूना, खुद उनको ही........लगा रहे हैं लोग 
कुछ इस तरह साहित्यिक दुकां चला रहे हैं लोग ? 
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अब तुम उस बेजुबाँ पे लाड न दिखाओ मियाँ 
कल इन्हीं हांथों से तो, हलाल होना है उसे ??
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चलो माना खुबसूरती पे इतराने का हक़ है तुम्हें 
पर, जिस्म की नुमाइश अच्छी नहीं यारा ????
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तमाशा चल रहा है, देख लो सरेआम संसद में 
मदारी कौन है...... सिर्फ ये जाहिर नहीं होता ? 
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