Tuesday, July 30, 2013

चिराग ...

न तो उन्हें शर्म है, और न ही वे शर्मिन्दा हैं
जात-धर्म का उन्ने, बिछाया चुनावी फंदा है ?
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सुनो 'उदय', कह दो सब से, कुत्तों की वफादारी पे सवाल न करें
वे तो ... भौंकेंगे, काटेंगे, दुम हिलाएंगे, अपने मालिक के लिए ?
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टंकी पे बैठ के नौटंकी ...
कुछ तो शर्म करो,... जनता के वोट से पहुंचे हो वहाँ ??
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हल्ला न हो-हल्ला ...
देश में खूब चल रहा है भ्रष्टाचारियों का बल्ला ??
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बस, उम्मीदों के चिराग जलाते रहें
फिर देखें अँधेरे कैसे दूर नहीं होते ?
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