साहब जी ...
साहब जी,... न तो आप मेले में दिखते हैं
और न ही, ... किसी झमेले में !
आखिर आप होते कहाँ हैं ?
बस, .......................यूँ समझ लो ...
होते सब जगह हैं ...
पर...................दिखते कहीं नहीं हैं ??
...
घमंड ...
एक मूर्ख ने दूसरे मूर्ख से कहा -
'बाबाजी' नाराज हैं तो रहने दो ...
हमारा क्या उखाड़ लेंगे !
ठीक तभी ...
वहां पड़े ... ढेरों अधमरे ...
अचानक उठ खड़े हुए ...
और बोले -
ठीक यही घमंड हमें भी था ???
2 comments:
karba sach
बहुत सुंदर ....
कभी समय मिले तो हुय्मारे ब्लॉग पर भी पधारें ...धन्यवाद .
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