आज में, जीने की आदत डाल लो 'उदय'
वैसे भी, कल की दास्ताँ, देखी है किसने ?
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तुम कौन होते हो, बेवजह हम पे इल्जाम लगाने वाले
चेलागिरी तो हमारा एक विजयी हुनर है 'उदय' !!
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तुम्हें ढेरों शुभकामनाएं माली-औ-बहारों की
अपुन तो पलाश हैं, धूप में भी खिल जायेंगे !
1 comment:
चेलागिरी मुबारक ही उदय भाई ...
:))
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