चलो खुद पर, हम आज एतबार कर भी लें 'उदय'
पर कोई और भी तो हो जिसपे एतबार हो हमको ?
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किसे, क्या मिला है अब तक, जंग जीत कर 'उदय'
सिर्फ, ताज-औ-तख़्त जिंदगी नहीं होते !!
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'उदय' खेल तू खेल ले, अब हार होय या जीत
खाली हाँथ है जाना सबको, अमर रहेगी प्रीत !
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