मेरे साये में शीतलता
मीठे फलों-सी है ...
मंद-मंद हवाओं के झौंके
भीनी खुशबू-से हैं ...
हर पल ... हर क्षण ...
सुकून, चैन, आराम ...
बेहिसाब हैं, मेरे साये में !
चिलचिलाती धूप हो
या हो मुसलाधार बारिश
तुम, मेरे साये में ...
जिंदगी गुजार सकते हो
मैं कोई और नहीं ...
वटवृक्ष हूँ ! तुम्हारा हूँ !!
6 comments:
अपने विशाल आँगन में सबके लिये स्थान है यहाँ..
बहुत खूब.
वटवृक्ष यानी आश्रय
कल 012/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
विशाल ह्रदय ...
विस्तार लिए ...
सुंदर रचना ...
शुभकामनायें ...!
ek alag si rachna
वटवृक्ष से साये में जिन्दगी गुजर सकती है पर कोई नया वृक्ष जन्म नहीं ले सकता :)
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