सच ! ये हुनर भी कोई उनसे सीखे 'उदय'
बिना नकाब के, वो रुख को छिपा के चलते हैं !
...
मौक़ा मिले तो देखें, तेरी आँखों का हम समुन्दर
पलकों पे हर घड़ी, क्यूँ लहरें हिलोर भरतीं ?
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सच ! अब ये तो 'रब' ही जानता है 'उदय'
हंसते-हंसते उनके शर्माने का सबब ?
2 comments:
सच ! ये हुनर भी कोई उनसे सीखे 'उदय'
बिना नकाब के, वो रुख को छिपा के चलते हैं !
सबको ये हुनर आता नहीं...
या खुदा कोई मुझे भी सीखा दे...!!
बहुत खूब....!!
Nice..
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