मैं एक औरत हूँ, बहादुर हूँ
एक बड़ी अफसर हूँ
ये हूँ, वो हूँ
दुनिया पर नैतृत्व कर सकती हूँ !
कर रही हूँ !!
मगर, फिर भी
मैं खुद से मुक्त नहीं हूँ
क्यों, क्योंकि -
मैं एक औरत हूँ !
गर्भाधान ...
प्रसव पीड़ा ...
बच्चे को जनना ...
यही है कुदरत का विधान !!
1 comment:
दुखद है स्थिति।
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