सच ! जी तो चाहता है, किसी दिन, 'हू-ब-हू' तुझे ही पोस्ट कर दूं
पर, बेहिसाब लाईक-औ-कमेन्ट के डर से, दिल हामी नहीं भरता !
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तुम भी मीठे, हम भी मीठे, फिर क्यूँ बातें तीखी हों
आओ, बैठो, लगो गले ... कुछ मीठा-मीठा हो जाए !
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सच ! हमारे हरेक मर्ज की दबा, एक तुम हो
जब तुम सांथ नहीं होते, हाल बेहाल होते हैं !
3 comments:
achchi likhi.....
बहुत खूब। पूरे को एक कविता ही मान रहा हूँ।
वाह..जी..वाह
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