यकीनन तुम पे नहीं, तुम्हारे दिल पे अब भी एतबार है हमको
आह सुन के हमारी, वो कराह उट्ठेगा !!
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लू की आंधियाँ चलें, या हो अब ताप की बारिश 'उदय'
जब तक, है प्याज की चटनी का असर, किसे पर्वा है !
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हमने तो अब तक, सिर्फ बेचने का हुनर सीखा है 'उदय'
कभी ऐंसा सौदा नहीं करते, जो नुक्सान दे जाए !!
6 comments:
खुद भी नहीं जानते कि हमारा हुनर क्या है।
waah ..
sundar panktiyan
samajhdaari ka sauda..behtarin
बहुत खूब कहा ...बधाई
behatareen prastuti
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