सच ! फर्क इतना ही है, उनमें और हम में 'उदय'
कि वो दिल का काम भी, मन से पूंछ के करते हैं !
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अच्छे दिल की 'उदय', कोई कसौटी तो बताओ
खुद कैसे कहें, 'खुदा' ही जानता है नेक नियति हमारी !!
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न जाने क्यूँ ? दोष आईने में ढूंढ रहे हैं लोग
वो तो अब, सीरत भी सूरत के संग नजर आने लगी है !
3 comments:
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - किसी अपने के कंधे से कम नहीं कागज का साथ - ब्लॉग बुलेटिन
अब तो सूरत ही सब कहने लगी है।
न जाने क्यूँ ? दोष आईने में ढूंढ रहे हैं लोग
वो तो अब, सीरत भी सूरत के संग नजर आने लगी है !
बहुत खूब !
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