क्या खूब फितरती सत्ता है हमारे मुल्क में 'उदय'
चेहरों और दिमागों में, ताल-मेल नहीं दिखता !!
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क्या कल वे भी कालजयी लेखक कहला जायेंगे 'उदय'
जो आज, झूठी वाह-वाही के आदि हुए हैं ??
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जिन्हें आज चेले-चपाटों की इबादत ने 'खुदा' बना रक्खा है 'उदय'
कहीं कल उन्हें, बा-अदब 'आदाब' के लाले न पड़ जाएं !!
2 comments:
व्यवस्था में दिमाग नहीं झलकता।
sabhi ko jameen par aana padta hai ek din.
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