Friday, March 23, 2012

अंधेरे ...

आओ, सिमट जाएं, हम
अंधेरे में ...
जब -
उजाला होगा
तब -
फिर चल पड़ेंगे ...
सच !
मान जाओ, बात मेरी
ये अंधेरे, यूँ ही नहीं होते !!

3 comments:

***Punam*** said...

kai ek sath padhin hain.....
just superb...!

***Punam*** said...
This comment has been removed by the author.
प्रवीण पाण्डेय said...

साथ अँधेरों का ही सही।