"चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए / तुम झुकते नहीं, और मैं चौखटें ऊंची कर नही पाता !"
लोगों का अर्थोत्कर्ष होने लगा है।
बस्ती का आलम देख के हैरां हैंडर यह है बस्ती में रहना भी है।
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लोगों का अर्थोत्कर्ष होने लगा है।
बस्ती का आलम देख के हैरां हैं
डर यह है बस्ती में रहना भी है।
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