Friday, March 23, 2012

मौक़ा परस्ती ...

कुछ हैं, जो सुबह से शहीदों के गुणगान में लगे हैं
जो वक्त पे, इंकलाब जिंदाबाद कहने से भी डरते हैं !
...
चंहू ओर, क्या खूब धूम-धडाका है मौक़ा परस्ती का 'उदय'
उफ़ ! चेले के माथे पे मुकुट, औ गुरु के हांथों में तालियाँ हैं !!